देहरादून ‘शैक्षिक आगाज’ की ओर से आयोजित ऑनलाइन वेबीनार में, पुस्तक ‘तोत्तोचान’ की समीक्षा को शामिल किया गया। इसमें उत्तराखंड के कई अध्यापक शामिल हुए। ‘तोत्तोचान’ पुस्तक पर सभी ने अपनी बहुत ही शानदार समीक्षा पेश की। वेबीनार की कोऑर्डिनेटर सुनीता बहुगुणा ने बताया कि
देहरादून
‘शैक्षिक आगाज’ की ओर से आयोजित ऑनलाइन वेबीनार में, पुस्तक ‘तोत्तोचान’ की समीक्षा को शामिल किया गया। इसमें उत्तराखंड के कई अध्यापक शामिल हुए। ‘तोत्तोचान’ पुस्तक पर सभी ने अपनी बहुत ही शानदार समीक्षा पेश की। वेबीनार की कोऑर्डिनेटर सुनीता बहुगुणा ने बताया कि यह पुस्तक सभी के पढ़ने योग्य है चाहे वह अभिभावक, छात्र या अध्यापक हो। यह पुस्तक में बच्चों के सर्वांगीण विकास कैसे हो बताती है, पुस्तक में बताया गया है कि बच्चों को एक खुले वातावरण में बहुत अच्छे ढंग से सीखते है। बच्चे को एक खुला और स्वतंत्र माहौल दिया जाना चाहिए। जहां वह बोझ रहित शिक्षा, करके सीखो विधि से सीखता है। वर्तमान काल में वास्तव में ‘तोमोए’ जैसे विद्यालयों की और सोसाकु कोबायशी जैसे धैर्यवान और शिक्षाविद अध्यापक की आवश्यकता है। जो अपनी एक अच्छी सोच से बच्चों को शिक्षा देने का काम करते हैं। यही एक विद्यालय है जहां बच्चा स्वयं करके सीखता है। समूह शिक्षण कैसे करना चाहिए, इस पुस्तक में बहुत अच्छे ढंग से बताया गया है। इस पुस्तक में बच्चे की छोटी छोटी जिज्ञासाओं को बहुत ही सुंदर ढंग से शांत करना सिखाया है। बच्चे का एक खुले वातावरण में रहकर प्रकृति से प्रेम करते हुए अपना चारित्रिक , बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक व नैतिक गुणों का विकास बहुत सुंदर प्रसंगों में बताया गया है। आज हम आनंदालय की बात करते हैं 1937 में बने इस विद्यालय में वह सब कुछ गतिविधियां उस समय हो रही थी, जिससे बच्चे को अति आनंद की प्राप्ति हो रही थी और विद्यालय वास्तव में विद्यालय ना होकर आनंदालय बना हुआ था। जहां बच्चा स्कूल जाने के लिए सुबह का इंतजार करता था और घर वापस, बहुत ही दुखी मन से जाता था। इस प्रकार यह पुस्तक बहुत सारी ऐसी घटनाओं को उजागर करती है जिनसे हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है। बाकी अधिक से अधिक जानकारी पाठक को स्वयं पुस्तकों पढ़कर मिलेगी, जब वह इस पुस्तक को पड़ेगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एसपी सेमवाल सीईओ टिहरी, विशिष्ट अतिथि आकाश सारस्वत डिप्टी डायरेक्टर समग्र शिक्षा उत्तराखंड ने अपने विचार रखने के साथ-साथ इस कार्यक्रम की प्रशंसा की और इस कार्यक्रम को एक शानदार पहल बताया, स्मृति चौधरी सहारनपुर फाउंडर शैक्षिक आगाज जिन्होंने इस कार्यक्रम को करवाया, ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि यह पुस्तक सभी अध्यापकों को विशेष रुप से पढ़नी चाहिए। साथ ही उत्तराखंड के कुछ शिक्षक जिसमें उमा बीआरसी नरेंद्र नगर, अंजली डुडेजा, नंदी बहुगुणा, ज्योत्सना रतूड़ी, अनीता ध्यानी, अनीता जोशी आदि शामिल रहे।
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