देहरादून उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तित से जहां भजपा ने 4 साल तक सीएम रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदल कर तीरथ सिंह को सीएम घोषित कर जहां सबको हैरत में डाल दिया था । तो वहीं फिर से एक बार से इतने कम अंतराल के
देहरादून
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तित से जहां भजपा ने 4 साल तक सीएम रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदल कर तीरथ सिंह को सीएम घोषित कर जहां सबको हैरत में डाल दिया था । तो वहीं फिर से एक बार से इतने कम अंतराल के बाद नेतृत्व परिवर्तन करना आखिर भाजपा की क्या मजबूरी है, हालांकि संवैधानिक मजबूरी कारण बताया जा रहा है तो क्या उस वक्त भाजपा आलाकमान को इसका अंदेशा नहीं था। अगर विधायकों से ही मुख्यमंत्री बनाना था तो उस वक्त क्यों नहीं बनाया अगर बनाया ही था तो सल्ट उपचुनाव के वक्त क्या भाजपा को हार का अंदेशा था कई ऐसे सवाल आम जनमानस के मन में कौंध रहा है। अब जब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कल रात को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है तो सवाल है अब कौन ? आज दोपहर बाद 3 बजे विधानमंडल दल की बैठक होने जा रही है जिसमें विधायक दल का नेता चुना जाना है।
अभी तक जो खबरें सामने आ रही है कि सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, कुमाऊँ से धामी सहित महिला विधायक ऋतू खंडूरी का नाम भी मुख्यमंत्री के तौर पर है। लेकिन विश्वश्त सूत्रों की माने तो भाजपा रेखा आर्य को लेकर फैसला एक तीर से तीन निशाना साध सकती है। एक तो महिला दूसरी बात दलित वोट पर नजर, तीसरी बात अब गढ़वाल से नही बल्कि कुमाऊँ को मौका दिया जाय। अब भाजपा संगठन में अंदरखाने क्या चल रहा है उसका पता तो विधानमंडल दल की बैठक के बाद ही चलेगा।
बीजेपी जातीय औऱ छेत्रीय समीकरण को देखते हुए औऱ पार्टी के अंदर बगावत न हो उसके लिए भी रेखा आर्य का नाम आगे कर सकती है , विधानसभा का लंबा अनुभव, तीन बार राज्य मंत्री रह चुकी रेखा आर्य का राजनैतिक अनुभव भी उनकी दावेदारी को पुख़्ता करता है तो वहीँ पूर्व सीएम, औऱ बर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की बहुत करीबी मानी जाने वाली रेखा आर्य को इसका लाभ मिल सकता है। सूत्रों की माने तो बीजेपी के भीतर से ही एक बहुत बड़ा धड़ा, रेखा आर्य को अंदर ही अंदर सीएम की कुर्सी पर देखना चाहता है जिसके लिए लाबिंग भी की जा रही है, महिला नेत्री का फायदा भी उन्हें मिलेगा, साथ ही ब्राह्मण औऱ ठाकुरों को पहले पार्टी ने कई मौके दिए हैं इस बार दलित चेहरा और महिला को आगे कर राज्य में दलित को प्रतिनिधित्व देकर पार्टी एक तीर से कई निशाने साधने की भी कोशिश करेगी । क्योंकि आने वाले चुनाव में दलितों को अपनी ओर करने के लिए भी यह एक मौका भी है। उत्तराखण्ड में कई विधानसभा सभा मे दलित वोटो का प्रतिशत बहुत है जिसमे की पुरोला, राजपुर, धनोल्टी, घनसाली , सहित कुमाऊँ में स्वयं रेखा आर्य , यशपाल आर्य की सीटों के साथ अन्य दूसरी विधानसभा ऐसी है जो दलित बाहुल्य होने के साथ साथ पार्टी को एक बार फिर सत्ता तक पहुँचा सकती है, जिसका लाभ लेने के लिए गुना भाग भी शुरू हो गया है।
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