ऋषिकेश मिशन 2 की असफलता के समय आंखों से निकले आंसुओं ने जो हौसला दिया आखिरकार चार साल की कड़ी मेहनत के बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने चांद पर आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर भारत का चंद्रयान-3 मिशन सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर
ऋषिकेश
मिशन 2 की असफलता के समय आंखों से निकले आंसुओं ने जो हौसला दिया आखिरकार चार साल की कड़ी मेहनत के बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने चांद पर आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर भारत का चंद्रयान-3 मिशन सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर लैंड करा भारत ऐसा पहला देश बन गया है जिसका मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने में सफल हुआ है । इससे इसरो के वैज्ञानिकों ने अपनी धाक पूरी दुनिया में जमा दी है।
प्रधानमंत्री मोदी से लेकर हर हिंदुस्तानी विज्ञानिको को इस उपलब्धि पर बधाई दे रहा है। ऋषिकेश हरिद्वार सहित अन्य जगहों पर लगातार गंगा आरती और प्रार्थनाएं की जा रही थी। ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में भी कल और आज गंगा आरती की गई। जिसके बाद चिदानंद सरस्वती ने सोहलता पर बधाई दी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी बुधवार को सचिवालय स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में शासन के उच्चाधिकारियों, विद्यालयी शिक्षा विभाग के अधिकारियों व स्कूली छात्र-छात्राओं के साथ चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक सफल लैंडिंग का सजीव प्रसारण को देखा। मुख्यमंत्री ने भारत की इस ऐतिहासिक सफलता के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, इसरो की टीम, वैज्ञानिकों व देश-प्रदेश की जनता को बधाई व शुभकामनाएं भी दी।
लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि इसरो के वैज्ञानिकों को नासा के वैज्ञानिकों से कम वेतन मिलता है। नासा के वैज्ञानिकों से कम वेतन के बावजूद भारतीय वैज्ञानिक आज आगे निकल गए हैं। नासा के वैज्ञानिकों को इसरो के वैज्ञानिकों से करीब पांच गुना ज्यादा वेतन मिलता है।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *