धनौल्टी 2022 के विधानसभा के चुनाव में निर्दलियों ने भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ ताल ठोककर माथे पर बल ला दिया है। इसी कड़ी में संघ और भाजपा के कद्दावर नेता महावीर सिंह रांगड़ ने टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले
धनौल्टी
2022 के विधानसभा के चुनाव में निर्दलियों ने भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ ताल ठोककर माथे पर बल ला दिया है। इसी कड़ी में संघ और भाजपा के कद्दावर नेता महावीर सिंह रांगड़ ने टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले के बाद भाजपा के लिए बैरियर का काम कर रहे हैं। रांगड़ के चलते सर्द मौसम में टिहरी जिले की धनोल्टी विधानसभा सीट में इन दिनों सियासी पारा बढ़ा हुआ है। गौरतलब हैं कि बीजेपी ने सिटिंग विधायक महावीर सिंह रांगड़ का 2017 में टिकट काटकर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के रिश्तेदार नारायण सिंह राणा को टिकट दिया था। लेकिन मोदी लहर के बावजूद राणा चुनाव ना जीत सके औऱ निर्दलीय प्रीतम सिंह पँवार जीतने में सफल रहे, जबकि पार्टी ने प्रचंड जीत दर्ज की थी । 2017 में नारायण सिंह राणा टिकट में रोड़ा बने तो अब 2022 में प्रीतम सिंह पँवार के पार्टी में आने के बाद फिर एक बार टिकट ना मिलाना पूर्व विधायक एवं राज्यमंत्री महावीर सिंह रांगड़ की दावेदारी को बीजेपी हाईकमान का हल्के में लेना धनोल्टी में बीजेपी के लिए भारी पड़ता दिखाई दे रहा है, जो कि रांगड़ की इन जनसमर्थन तस्वीरों में देखा जा सकता है । बीजेपी के रणनीतिकारों को शायद यह गलतफहमी थी कि वे इस बार भी पिछली बार की तरह रांगड़ को मना लेंगे, लेकिन इस बार ऐसा हुआ नही औऱ रांगड़ ने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर आलाकमान के आदेश को चुनौती दे दी।
धनोल्टी से निर्दलीय उम्मीदवार रांगड़ को पार्टी ने समझाने-मनाने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं, नाम वापिस ना लेकर रांगड़ ने रण छोड़ने से इंकार कर दिया। नतीजतन पार्टी दो भागों में बंट गई और अब असली बीजेपी और नकली बीजेपी जैसे शब्द भी धनोल्टी में इन दिनों खूब प्रचलन में आ गए। महावीर रांगड़ लम्बे समय से संघ से जुड़े हुए हैं तकरीबन 22 साल से बीजेपी में अपनी सेवाएं देते आए हैं जबकि प्रीतम पँवार अभी हाल फिलहाल भाजपाई बने हैं। भले वह बीजेपी का टिकट पाने में कामयाब हो गए हो मगर रांगड़ समर्थक उन्हें असली बीजेपी वाला मानने को तैयार नही है। लिहाजा इसलिए भी धनोल्टी में असली बनाम नकली का शोर खूब सुनाई दे रहा है। जौनपुर के नैनबाग, थत्यूड़, सकलाना या फिर थौलधार में रांगड़ समर्थकों में यहाँ भी चर्चा, असली बीजेपी बनाम नकली बीजेपी की है। और टिकट कटने से रांगड़ के प्रति लोगो की सहानभूति देखने को मिल रही हैं। निर्दलीय चुनाव में उतरकर महावीर रांगड़ ने धनोल्टी के मुकाबले को न केवल दिलचस्प बल्कि त्रिकोणीय भी बना दिया है। रांगड़ धनोल्टी में एक मजबूत जनाधार वाले नेता माने जाते हैं औऱ कई बार वह यह साबित भी कर चुके हैं 2012 में वह इस बात को साबित भी कर चुके हैं औऱ उस वक्त वह धनोल्टी सीट जितने में कामयाब भी हुए थे। रांगड़ का दावा है कि धनोल्टी इस बार 2012 का इतिहास दोहराने जा रहा है, बस फर्क इतना होगा कि इस बार उनकी जीत निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर होगी। रांगड़ के मुताबिक पार्टी का टिकट नही मिला, इससे कोई फर्क नही पड़ता, इस बार तो धनोल्टी की जनता ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है , वह जनता के टिकट पर मैदान में उतरे है, लोकतंत्र में जनता का फ़ैसला सबसे बड़ा फैसला होता है इसलिए वह इंसाफ मांगने जनता की अदालत में गए है।
धनोल्टी में एक बात तो साफ हो गई है दो राष्ट्रीय दलो के सामने रांगड़ एक बड़ी चुनौती के रूप में मैदान में डटे हुए हैं। हालाँकि भाजपा प्रत्याशी पंवार भी धनौल्टी के भाजपा के सभी जनाधार वाले नेताओं को अपने पक्ष में प्रचार में साथ लेकर चल रहे हैं। लेकिन ये बात भी दीगर है कि वे नेता जनता को अपने पक्ष में कितना कर पाते हैं। वहीँ कांग्रेस उम्मीदवार जोत सिंह बिष्ट अपने पक्ष में माहौल बनाने में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। लेकिन आखिरी फैसला जनता को करना है लेकिन मौजूदा माहौल को देख तो यही लग रहा है कि रांगड़ को रोकना दोनों दलों के लिए आसान नहीं लग रहा है।
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