लैंसडाउन हरक सिंह रावत को भाजपा द्वारा निष्काषित किये जाने के बाद कांग्रेस में शामिल होने की कयासबाजी के बाद से ही हरक सिंह रावत को शामिल किये जाने का विरोध जारी है। एक ओर जहाँ डोईवाला से चुनाव लड़ने की कयासबाजी के बाद से
लैंसडाउन
हरक सिंह रावत को भाजपा द्वारा निष्काषित किये जाने के बाद कांग्रेस में शामिल होने की कयासबाजी के बाद से ही हरक सिंह रावत को शामिल किये जाने का विरोध जारी है। एक ओर जहाँ डोईवाला से चुनाव लड़ने की कयासबाजी के बाद से विरोध है तो वहीँ हरक सिंह रावत को लैंसडाउन विधानसभा में कांग्रेसियों द्वारा उनके या पुत्रवधू के कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने का विरोध शुरू हो गया है। लैंसडाउन विधानसभा में कांग्रेस से जुड़े दावेदारों जिसमें दीपक भंडारी , रंजना रावत सहित अन्य 8 और दावेदारों ने जहाँ एक स्वर में कहा कि उनमें से कांग्रेस जिसे टिकट देगी उसके लिए काम किया जायेगा लेकिन हरक सिंह रावत जिसने कांग्रेस कि सरकार गिराने में अपनी भूमिका निभाई के परिवार को टिकट मिला तो विरोध होगा।
लैंसडाउन विधानसभा जहाँ से पूर्व में 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत ने जीत दर्ज की को अब चुनौती मिल रही है। पूर्व में 2002 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके दीपक भंडारी को 3185 वोट प्राप्त हुए थे, तब कांग्रेस के हरक सिंह रावत को 8914 और भाजपा के भारत सिंह रावत को 8446 मत मिले थे। जबकि निर्दलीय चुनाव लड़ने के बावजूद भी हरक सिंह रावत और स्वर्गीय भारत सिंह रावत को पूरी टक्कर दी। अब 2022 में लैंसडाउन विधान सभा से कांग्रेस से टिकट के मजबूत दावेदार दीपक भंडारी को लगातार जनता का भी समर्थन मिल रहा है। 1992-93 से कॉलेज के अध्यक्ष पद से लेकर पूर्व जिला पंचायत सदस्य ब्लाक प्रमुख तक का अनुभव रखने वाले लैंसडाउन विधानसभा के प्रबल दावेदार दीपक भंडारी ने साफ शब्दों में कहा कि अगर पार्टी किसी और को टिकट देती है तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेगे साथ ही हरक सिंह रावत को निर्दलीय लैंसडाउन से चुनाव लड़ने की चुनौती देते हुए कहा कि पता चल जायेगा कौन कितने पानी में है। वहीँ अगर बात आज के राजनीतिक परिदृश्य की बात करें तो पिछले दो बार से भाजपा इस सीट से जीतती आ रही है और ऐसे में कांग्रेस के लिए इस सीट से जीतने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी। और हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी इस विधानसभा में कुछ माह पूर्व भी जा कर जनता और कार्यकर्ताओं का मन टटोल चुकी है। अब कुछ दिन में तस्वीर साफ हो पायेगी कि हरक कांग्रेस ज्वाईन कर पाते है या नहीं अगर ज्वाइन करते हैं तो क्या अपनी पुत्रवधू को टिकट दिलाने में सफल होते हैं या नहीं। लेकिन ये तय है लैंसडाउन विधानसभा में कांग्रेस को कांग्रेस से ही कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
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